• Latest
  • Trending
Rohith Vemula रोहित वेमुला दलित

तो फिर रोहित वेमुला आत्महत्या दलित उत्पीडन काण्ड नहीं था?

2 years ago
SBI, Loans, Martyrs

SBI waives off loans of 23 martyred soldiers in Pulwama

14 hours ago
Shakundeb Panda, BJP

Massive blow to Mamata: Former TMC general secretary Shankudeb Panda joins BJP

15 hours ago
TDP, Pandula Ravindra Babu

Disillusioned with Chandrababu Naidu’s leadership, one more MP quits TDP to join YSR Congress

15 hours ago
Kumaraswamy, Pakistan

Karnataka CM Kumaraswamy refuses to condemn Pakistan, blames India for terror instead

15 hours ago
Hindu, Rafale

The Hindu publishes factually incorrect content, doubles down by using doctored images when challenged

15 hours ago
Pakistan, Senate, Anti Modi, Document

Pakistan Senate document exposes the country’s policy of supporting anti-Modi forces within India

15 hours ago
Yogi Government, Uttar Pradesh, Healthcare

Yogi government makes tremendous strides in healthcare, Lutyens’ media turns a blind eye

15 hours ago
Congress, Navjot Singh Sidhu

Congress divided over Navjot Singh Sidhu’s Pakistan love

16 hours ago
Kulbhushan Jadhav, Quint, Pakistan

Pakistan cites The Quint’s article in Kulbhushan Jadhav case at ICJ

16 hours ago
  • About us
  • Columnists
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • हिन्दी
February 20, 2019
rightlog.in
  • Trending
  • Videos
  • Opinions
  • Analysis
  • Economy
  • Business
    • Business Stories
  • Defence
  • History
    • Culture
    • Indology
  • International
  • TFI Specials
    • Featured
    • TFIUvaach
  • Lounge
    • Sports
    • Satire
    • Random
No Result
View All Result
rightlog.in
  • Trending
  • Videos
  • Opinions
  • Analysis
  • Economy
  • Business
    • Business Stories
  • Defence
  • History
    • Culture
    • Indology
  • International
  • TFI Specials
    • Featured
    • TFIUvaach
  • Lounge
    • Sports
    • Satire
    • Random
No Result
View All Result
rightlog.in

तो फिर रोहित वेमुला आत्महत्या दलित उत्पीडन काण्ड नहीं था?

Surya Pratap Singh by Surya Pratap Singh
October 8, 2016
in हिन्दी
0
Rohith Vemula रोहित वेमुला दलित
1.9k
VIEWS
0
SHARES
  • Share via Facebook
  • Share via Twitter
  • WhatsApp
  • Messenger

हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की खुदकशी मामले में जस्टिस अशोक रूपनवाल कमेटी ने जांच रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी है। प्रमुख समाचारपत्र जनसत्ता ने लिखा कि “रूपनवाल ने रोहित वेमुला की जाति की भी विस्तृत पड़ताल की। उन्होंने रिपोर्ट में 12 पन्नों के अपने निष्कर्ष में चार पन्नों में रोहित की जाति के बारे में जानकारी दी है।

रोहित वेमुला का पालनपोषण उनकी मां वी राधिका ने किया था। रिपोर्ट में इसकी पड़ताल की गई कि क्या राधिका माला समुदाय (दलित) से हैं या नहीं। रूपनवाल रिपोर्ट के अनुसार राधिकार ने खुद को माला समुदाय का बताया ताकि उनके बेटे रोहित को जाति प्रमाणपत्र मिल सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि राधिका का ये दावा कि उन्हें पालने-पोसने वाले माता-पिता ने बताया था कि उनके जैविक माता-पिता दलित थे, ‘असंभाव्य और अविश्वसनीय’ है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर राधिका को उसके जैविक माता-पिता का नाम नहीं बताया गया था तो उन्हें कैसे पता चला कि वो माला जाति की हैं। रिपोर्ट के अनुसार रोहित वेमुला का जाति प्रमाणपत्र पूरी जांच किए बिना दिया गया था और चूंकि उनकी मां माला समुदाय से नहीं आती इसलिए उनका जाति प्रमाणपत्र सही नहीं था।“

इससे अलग रोहित वेमुला के भाई राजा का कुछ समय पहले कहना था कि, ‘हम दलितों की तरह रहे हैं| हम एक दलित समुदाय के बीच पले-बढ़े| हां, मेरे पिता एक पिछड़ी जाति से थे लेकिन हमारा जो भी अनुभव रहा है वह दलितों की तरह रहने का ही रहा है| हमारे साथ पूरी जिंदगी भेदभाव हुआ| जो कि रूपनवाल कमिटी की रिपोर्ट को और मजबूती प्रदान करता है|

रोहित वेमुला एक छात्र नेता जो कि अत्यंत ही निर्धन परिवार से था| उसने आत्महत्या करने के पश्चात अपने अंतिम पत्र में लिखा भी कि वह एक दैत्य बन गया है, इंसान की कीमत सिर्फ एक वोट की रह गयी है, इंसान के दिमाग का कोई मोल नहीं और ये भी लिखा कि मेरे जाने के बाद मुझे शांति से विदा करे| परन्तु उस समय विश्वविद्यालय शांत नहीं रहा या आप कहें कि विश्वविद्यालय में आग भड़काने की हर संभव कोशिश की जा रही थी| सांत्वना देने आ रहे बाहरी नेताओं की शब्दावली किसी प्रायोजित रणनीति से प्रेरित लग रही थी जिससे की देश की राष्ट्रीय राजनीती में उनकी चमक बरकरार रह सके|

दूसरी ओर सामाजिक न्याय के लिए बनी कमिटी(Joint Action Committee-UoH) के क्रियाकलापों पर लगातार उंगलियाँ उठाई जा रही थी| जिस प्रकार पूर्व छात्रसंघ महासचिव राजू कुमार साहू ने एसएफआई से अपने त्यागपत्र को सार्वजनिक कर यह आरोप लगाया था कि रोहित वेमुला के नाम पर चलाये जा रहे आन्दोलन को कांग्रेस और लेफ्ट द्वारा आर्थिक मदद दी रही है| साथ ही साथ उन्होंने रोहित के नाम पर जुटाए गए पैसो के देनदारों के नाम सार्वजनिक करने की भी मांग की थी| यह सारी गतिविधियाँ दर्शाती हैं कि किस प्रकार से लोगों को जातिवादिता के नाम पर बरगला कर कुछ लोगों के व्यक्तिगत एवं राजनैतिक फायदे के लिए यह आन्दोलन जारी रखने कोशिश की जाती रही है| कुछ सवाल कमिटी की कार्यशैली पर आज भी गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े करते रहे हैं –

  1. कमिटी की ओर से कभी अधिकारिक रूप से सीबीआई जांच की मांग क्यों नहीं की गयी?
  2. छात्र संघ महासचिव राजू कुमार साहू द्वारा लगाये आरोपों के बाद से कमिटी ने रोहित के नाम पर जुटाए गए पैसों से जुड़े दस्तावेजों को आज तक सार्वजानिक क्यों नहीं किया?
  3. कमिटी का प्रमुख उद्देश्य रोहित के लिए न्याय मांगना था परन्तु कमिटी को किन कारणों से कन्हैया कुमार, उमर खालिद जैसे लोगों के समर्थन में अधिकारिक पोस्टर जारी करके विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेना पड़ा?
  4. कमिटी के प्रमुख सदस्य किन कारणों से तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमिटी की बैठकों में हिस्सा लेते रहे?
  5. रोहित के भाई राजा वेमुला जिन्हें केजरीवाल सरकार की ओर से सरकारी नौकरी की पेशकश की गयी थी| उन्होंने नौकरी लेने से मना क्यूँ किया? क्या रोहित के परिवार का राजनैतिक शोषण किया जा रहा है? इसके प्रति कमिटी की जवाबदेही क्या है?

6. उत्तरी परिसर में विश्वविद्यालय के नियमों के विरुद्ध रोहित वेमुला की मूर्ति प्रतिस्थापित की गयी है| क्या कमिटी पूर्व में आत्महत्या करने वाले छात्र/छात्राओं के लिए भी समान विचार रखती है?

  1. बाहरी व्यक्तियों का विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश वर्जित है फिर भी कमिटी राजनैतिक दलों के लोगों को किन वजहों से आमंत्रित करती रही है?

अम्बेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन- एक काला इतिहास

*************************************************

अगर आपको इतिहास में ले जाऊं तो बात कुछ उस समय की है जब विश्विद्यालय में अम्बेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन ने भारी मतों से विजयी होकर, छात्र संघ चुनावो में अपना परचम लहरा दिया था|

ऐसी सरकार जो दबे कुचलो की सरकार थी, दलितों की सरकार थी, बदलाव की सरकार थी परन्तु ऐसा बदलाव हुआ नहीं| जिसने भी छात्र संघ के नीतियों के विरोध में लिखने की या बोलने की हिमाकत की उसे उसके कमरे में जाकर धमकाया और पीटा जाने लगा और अंत में उससे माफीनामा लिखाया जा रहा था| ये सब कुछ सरेआम चल रहा था, यहाँ तक की इस देश में लोगो को बोलने का, लिखने का, स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है वावजूद इसके लोगो के फेसबुक पोस्ट तक पर उन्हें धमकाने का सिलसिला धड़ल्ले से फलफूल रहा था और हाँ ये उसी संगठन के लोग थे जिनसे लोग बदलाव की चाह में थे| कहते है कि देश का संविधान का हर किसी को पालन करना चाहिए, बावजूद इसके “याकूब मेमन” जो कि आतंकवादी था, जिसे देश के सर्वोच्च न्यायलय ने दोषी करार दिया था| उसके लिए यहाँ विशेष तौर पर इस संगठन से जुड़े सदस्यों ने नमाज़-ए-जनाजे का आयोजन कर उसे श्रृद्धांजलि अर्पित की थी|

“दलित” शब्द सुनकर अक्सर मन में दबे-कुचलों के उत्थान की बिजली सी कौंध जाती है| परन्तु उस समय आपकी सोच बदलने लगती है जब कुछ गैरजिम्मेदाराना लोग इस शब्द को ढाल बनाकर काले कारनामों में शामिल होने लग जाते हैं| मंथन करने की आवश्यकता है कि क्या दलित शब्द इसलिए है कि विश्विद्यालय परिसर में आप खुले आम गुंडागर्दी करें और अपने जाति विशेष की वजह से आप हमेशा बचकर निकलते रहें? क्या दलित शब्द आपको लोगों धमकाने के लिए, एक विशेष शक्ति प्रदान करता है? क्या देश का क़ानून भी लोगों की धर्म एवं जाति देखकर फैसला लेता है? क्या वे लोग, जिन्हें पीटा गया या धमकाया गया या जिन्होंने इस गन्दी राजनीति का दंश झेला, उनके दोषियों इसकी सजा नहीं मिलनी चाहिये थी? क्या वे लोग जो भले ही दलित समुदाय से थे, ऐसे क्रियाकलापों में संलिप्त थे, उन्हें दंड नहीं दिया जाना चाहिए? सामने आना चाहिए उन पांच निष्कासित छात्रो का सच, कि क्या वो बेवजह निष्कासित थे या उन्हें उनके किये का परिणाम मिल रहा था|

विश्वविद्यालय ने सभी पांच निष्कासित छात्रों को पूर्व में कई बार इस तरह के कार्यों पर लगाम लगाने की चेतावनी दी थी| परन्तु उनकी कार्यप्रणाली में कोई बदलाव नहीं आया जिसकी वजह से उनका निष्कासन हुआ जो कि छात्र समुदाय के लिए एक सकारात्मक सन्देश के तौर पर था| इस विश्वविद्यालय की चाहरदीवारी के बाहर देशवासी अनजान हैं क्यूंकि उन्हें सिर्फ वह दिखता है जो देश की मीडिया दिखाती है परन्तु इस संगठन द्वारा वास्तविकता में “दलित” शब्द का किस प्रकार से दुरूपयोग किया जाता रहा है, वह सच लोगों तक कभी पहुँच ही नहीं पाया है|

रोहित वेमुला दलित था या नहीं इससे पहले यह प्रश्न उठता है कि उसकी दुखद मृत्यु के पश्चात किस प्रकार से उसके नाम को अपने राजनैतिक भविष्य के लिए प्रयोग किया जा रहा है और शायद किया जाता रहेगा|

उसने कभी सोचा नहीं होगा कि उसका जाना लोगों के लिए बड़े बड़े मंचों पर पहुँचने की सौगात लेकर आएगा जिससे वे राजनैतिक छतों तक पहुचने की सीढ़ियों की तरह प्रयोग करेंगे|

  •  shares
  • Share via Facebook
  • Share via Twitter
  • WhatsApp
  • Messenger
Tags: आईसाउमर खालिदकन्हैय्या कुमारकेजरीवालदलितरोहित वेमुलाहैदराबाद विश्वविद्यालय

Get real time updates about our posts directly on your device

Unsubscribe
Previous Post

Bangladesh and Balochistan: The resemblance is uncanny

Next Post

Why Mamata Banerjee as Maa Durga is the ultimate irony?

Surya Pratap Singh

Surya Pratap Singh

Sociopolitical Analyst, Strategist & Thinker, Hindi Writer, Social Worker and An Alumni of University of Hyderabad

Next Post
mamata banerjee durga

Why Mamata Banerjee as Maa Durga is the ultimate irony?

Discussion about this post

Recent Posts

SBI, Loans, Martyrs

SBI waives off loans of 23 martyred soldiers in Pulwama

February 19, 2019
Shakundeb Panda, BJP

Massive blow to Mamata: Former TMC general secretary Shankudeb Panda joins BJP

February 19, 2019
TDP, Pandula Ravindra Babu

Disillusioned with Chandrababu Naidu’s leadership, one more MP quits TDP to join YSR Congress

February 19, 2019
Kumaraswamy, Pakistan

Karnataka CM Kumaraswamy refuses to condemn Pakistan, blames India for terror instead

February 19, 2019
Hindu, Rafale

The Hindu publishes factually incorrect content, doubles down by using doctored images when challenged

February 19, 2019

© 2018 rightlog.in

  • Terms of use
  • Privacy Policy
  • Sitemap
No Result
View All Result
  • Trending
  • Videos
  • Opinions
  • Analysis
  • Economy
  • Business
    • Business Stories
  • Defence
  • History
    • Culture
    • Indology
  • International
  • TFI Specials
    • Featured
    • TFIUvaach
  • Lounge
    • Sports
    • Satire
    • Random
  • हिन्दी
  • About us
  • Columnists
  • Careers
  • Brand Partnerships

© 2018 rightlog.in

  •   shares
  • Share via Facebook
  • Share via Twitter
  • WhatsApp
  • Messenger